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केरल के एकमात्र भाजपा विधायक व पूर्व केंद्रीय मंत्री राजगोपाल भी कृषि कानूनों के खिलाफ, विधानसभा में प्रस्ताव का समर्थन

भाजपा विधायक ओ राजगोपाल - फोटो : ANI

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मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसान एक महीने से राजधानी दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच केरल विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से केंद्र के तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत केरल विधानसभा में भाजपा के एकमात्र विधायक व अटल सरकार में मंत्री रहे ओ राजगोपाल ने भी सदन में इस प्रस्ताव का समर्थन किया। 
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केरल विधानसभा के विशेष सत्र में गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने प्रस्ताव रखा, जिसे सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ), विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) और भाजपा के समर्थन से सर्वसम्मति से पारित किया गया। केरल विधानसभा के इस प्रस्ताव में तीनों कृषि कानूनों को 'किसान विरोधी और 'उद्योगपतियों के हित' में बताया गया है।
 
विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद राजगोपाल ने कहा, प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। मैंने कुछ बिंदुओ (प्रस्ताव में) के संबंध में अपनी राय रखी, इसको लेकर विचारों में अंतर था, जिसे मैंने सदन में रेखांकित किया। मैंने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया है।
 राजगोपाल बोले, यह लोकतांत्रिक प्रणाली है
जब राजगोपाल से कहा गया कि वह पार्टी के रुख के खिलाफ जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली है और हमें सर्वसम्मति के अनुरूप चलने की जरूरत है। हालांकि, विशेष सत्र के दौरान सदन में राजगोपाल ने चर्चा के दौरान कहा था कि नए कानून किसानों के हितों की रक्षा करेंगे और बिचौलियों से बचा जा सकेगा।

केरल विधानसभा का यह घटनाक्रम भारतीय जनता पार्टी के लिए एक फजीहत के तौर पर सामने आया है,  क्योंकि भाजपा इस कानून को रूप किसानों के हित में मानती है। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने कहा कि वह इस बात की जांच करेंगे कि राजगोपालन ने विधानसभा में क्या कहा। सुरेंद्रन ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि राजगोपालन जैसे वरिष्ठ नेता इसके विपरीत विचार रखेंगे।

माकपा और यूडीएफ ने समर्थन किया
माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।  प्रस्ताव को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई ने आरोप लगाया कि केंद्र के कानूनों में संशोधन उद्योगपतियों की मदद के लिए किया गया है। उन्होंने इन तीन विवादित कानूनों को संसद की स्थायी समिति को भेजे बिना पारित कराया गया। अगर यह प्रदर्शन जारी रहता है, तो एक राज्य के तौर पर केरल को बुरी तरह से प्रभावित करेगा।

करीब दो घंटे की चर्चा के बाद सदन ने प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया। केरल विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामाकृष्ण ने कहा कि प्रस्ताव का पारित होना किसानों की मांग के प्रति सदन की भावना को प्रतिबिंबित करता है।

बता दें कि कि कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे पहले अक्तूबर में पंजाब ने प्रस्ताव पारित किया था। ऐसा करने वाला केरल देश का दूसरा राज्य हो गया है। 
 

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